सरेंडर के बाद नक्सलियों का कमांडर इन चीफ ने बोला, बचपन में जबरन भर्ती करवाया, फिर थमा दिया हथियार

कांकेर। बस्तर में जारी एंटी नक्सल ऑपरेशन से नक्सलवाद खात्मे की ओर है, बड़ी संख्या में नक्सलियों के मारे जाने के बाद अब सरेंडर करने वाले नक्सलियों की संख्या भी तेजी से बढ़ी है, दो दिन पहले कांकेर में 13 नक्सलियों ने आत्म समर्पण किया था, जिसमें नक्सलियों के उत्तर बस्तर डिविजन का कमांडर इन चीफ मैनू नेगी भी शामिल है, मैनू नेगी से bastarbook.com की टीम ने बातचीत की तो मैनू ने कई अहम खुलासे किए। 

मैनू नेगी ने कहा कि बस्तर में डीआरजी और बस्तर बटालियन के जवानों से ही आंध्र प्रदेश के नक्सली लीडर उन्हें लड़ने को मजबूर कर रहे थे, डीआरजी और बस्तर बटालियन में उनके ही आदिवासी भाई बहन है,उनसे वो लड़ना नहीं चाहते थे। नक्सल संगठन में भर्ती को उन्होंने कहा कि 2005 में उनके गांव में नक्सली लीडर आते थे और उन्होंने गांव के युवाओं एक ग्रुप बना दिया था, जिनका काम नक्सलियों तक राशन पहुंचाना था, जिसके बाद धीरे धीरे संगठन में हथियार चलाने की ट्रेनिंग मिली और 2008 में वो पूर्ण रूप से नक्सल संगठन में शामिल हो गया, जिसके बाद कई नक्सली लीडरों के साथ काम किया, मैनू ने बताया कि बीते डेढ़ साल में डीआरजी के आक्रमक रवैया के बाद नक्सल संगठन कमजोर हो चुका है और अंदरूनी इलाकों तक सरकार जो विकास कार्य कर रही है उससे सभी प्रभावित है और अब ये समझ चुके है कि अपने ही आदिवासी भाइयों से वो लड़ रहे थे, यही कारण है कि बड़ी संख्या में अब बस्तर के युवा जो भटक कर नक्सल संगठन में शामिल हो गए थे वो आत्म समर्पण कर वापस लौट रहे है, मैनू के साथ उसकी पत्नी ने भी आत्म समर्पण किया है, मैनू अब अपनी पत्नी के साथ सुकून का जीवन जीना चाहता है। 

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