नक्सली नहीं डालेंगे हथियार, अपने ही केंद्रीय प्रवक्ता को कटघरे में किया खड़ा , बताया भ्रम फैलाने वाला निजी राय

बस्तर। माओवादी संगठन में उथल पुथल मची हुई है, 15 सितम्बर को नक्सल संगठन के केंद्रीय कमेटी के प्रवक्ता अभय उर्फ सोनू ने प्रेस नोट और ऑडियो जारी कर युद्ध विराम की मांग करते हुए प्रधानमंत्री और गृहमंत्री से अपील की थी और अन्य साथियों से चर्चा करने के लिए एक माह का समय मांगा था लेकिन अब तेलगाना राज्य कमेटी ने प्रेस नोट जारी कर युद्ध विराम से इनकार कर दिया है और अभय उर्फ सोनू के प्रेस नोट को उनकी निजी राय बता दिया हैं   केंद्रीय समिति ने साफ कर दिया है कि सोनू उर्फ अभय  का युद्धविराम संबंधी बयान पार्टी की आधिकारिक राय नहीं है, समिति ने इसे क्रांतिकारी खेमे में भ्रम फैलाने वाला करार देते हुए कहा कि गुप्त संगठन के फैसले इंटरनेट पर नहीं लिए जाते और किसी को भी इस बयान से भ्रमित होने की ज़रूरत नहीं है।

माओवादी पार्टी ने भाजपा सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र “कगार युद्ध” चला रही है और मार्च 2026 तक संगठन को पूरी तरह खत्म करने की घोषणा की है। पार्टी ने दावा किया कि 21 मई को हुई भीषण मुठभेड़ में उसके महासचिव समेत 28 कैडर मारे गए, जबकि हाल के दिनों में कई शीर्ष नेता भी ढेर हुए हैं। वहीं, कुछ राज्य और जिला स्तर के कमेटी सदस्य स्वास्थ्य कारणों से आत्मसमर्पण कर चुके हैं।

बुद्धिजीवियों और सामाजिक संगठनों ने शांति वार्ता की मांग उठाई है, लेकिन सरकार लगातार दमन अभियान चला रही है। इस बीच माओवादी केंद्रीय समिति ने आह्वान किया है कि भाजपा की जनविरोधी और फ़ासीवादी नीतियों के खिलाफ संघर्ष और तेज़ किया जाए।

नक्सल संगठन में पड़ चुकी है फूट 

4 दिन के भीतर नक्सल संगठन से दो अलग अलग बयानों से साफ है कि नक्सल संगठन अब नेतृत्व विहीन हो गया है और संगठन में फुट पढ़ चुकी है, एक तरफ केंद्रीय कमेटी का प्रवक्ता खुद का ऑडियो जारी करता है और युद्ध विराम की मांग करता है दूसरी तरफ तेलंगाना राज्य कमेटी की तरफ से 4 दिन के भीतर ही इसका खंडन कर दिया जाता है,4 दिन के इस घटनाक्रम से  नक्सल संगठन बुरी तरह बिखरा हुआ नजर आ रहा है। 

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