
कांकेर। बस्तर संभाग के अंदरूनी इलाकों में विकास पहुंचने का दावा सरकार कर रही है, लेकिन आज के समय में यदि बच्चों के पढ़ने के लिए जर्जर हो चुके स्कूल भवन की मरम्मत तक न हो सके तो इस दावे पर प्रश्नचिन्ह लगना जायज है।अंतागढ़ के मड़पा गांव से एक ऐसी ही तस्वीर सामने आई है, जिसके बाद शासन और प्रशासन पर सवाल खड़े हो रहे है, कि उनका विकास आखिर कहा रास्ता भटक गया है। मड़पा गांव के ग्रामीण अपने बच्चों की शिक्षा के लिए खुद अपने पैसे जोड़कर स्कूल तैयार कर रहे है। कारण यह है कि यहां के बच्चे जिस स्कूल भवन में बैठकर पढ़ते है वो इतना जर्जर हो चुका है कि बारिश में पानी टपकता नहीं है बल्कि बरसता है, यही नहीं दीवारों की हालत ऐसी है कि ये कब गिर जाए और बढ़ा हादसा हो जाए ये कहा नहीं जा सकता, किसी भी पल यह पढ़ने वाले छात्रों के साथ बड़ी घटना घट सकती है। मड़पा में प्राथमिक और माध्यमिक शाला में 44बच्चे अध्ययनरत है, जिन्हें उम्मीद थी कि बारिश के पहले स्कूल भवन का मरम्मत हो जाएगा और उनके शिक्षा में कोई दिक्कत नहीं आएगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं, जब कई बार मांग करने के बाद भी प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया तो अब इस गांव के ग्रामीण खुद चंदा करके झोपडी तैयार कर रहे है जिसमें अब ये बच्चे पढ़ाई करेंगे और अपना भविष्य संवारेंगे।

मड़पा गांव के ग्रामीण बताते है कि उन्होंने कई दफा जर्जर स्कूल भवन को लेकर शिकायत जिम्मेदार जनप्रतिनिधि और अधिकारी से की है, लेकिन किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया , जिसके बाद ग्रामीणों ने बैठक बुलाकर तय किया कि अपने बच्चों के लिए स्कूल वो खुद तैयार करेंगे , ग्रामीणों ने 45 हजार रूपये का चंदा आपस में जुटाया और खुद श्रमदान कर अपने बच्चों के लिए झोपडी नुमा स्कूल तैयार कर डाला है। ग्रामीणों ने न केवल शासन प्रशासन को आईना दिखाया है बल्कि ये भी साबित कर दिया है कि इस क्षेत्र के विकास के लिए भले ही सिस्टम में बैठे लोग जागरूक ना हो लेकिन ग्रामीण अपने बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए जागरूक है।