14 साल से रुकी थी जीपीएफ की राशि,  पेंशनर संघ की हुई एंट्री ,फिर मिले 8 लाख 45 हजार 

कांकेर। सेवा निवृति के बाद शासकीय कर्मचारियों को कार्यालय की लापरवाही की वजह से लंबे समय तक परेशानियों का सामना करना पड़ता है । ऐसे ही एक प्रकरण को पेंशनर संघ कांकेर ने सुलझाया है,  एस आर प्रधान 2009 में  ड्रेसर ग्रेड एक के पद पर कार्य करते हुए सेवा निवृत हुए थे लेकिन 14 साल बाद भी  उनके जी पी एफ की राशि का भुगतान महालेखाकार कार्यालय द्वारा नहीं किया गया था जिसकी वजह केवल यही थी कि कार्यालय द्वारा जी पी एफ आहरण सूची गलत भेजी गई थी इससे खाता ऋणात्मक हो गया श्री प्रधान ने सेवाकाल में केवल एक बार ही जी पी एफ पार्ट फाइनल आहरण किया था लेकिन कार्यालय द्वारा भेजी गई सूची में आठ बार आहरण बताया गया ,यह बेहद आश्चर्यजनक था । श्री प्रधान प्रारंभिक दिनों में स्वयं लड़ते रहे,प्रयास करते रहे लेकिन कार्यालय एवं संबंधित लिपिक द्वारा उन्हें गुमराह किया जाता रहा । जब यह प्रकरण पेंशनर समाज कांकेर के ध्यान में लाया गया तो अध्यक्ष ओम प्रकाश भट्ट,उपाध्यक्ष सुरेश चंद्र श्रीवास्तव,सचिव शिव सिंह भदौरिया ,हेमंत टांकसाले,रामशरण जैन,ईश्वर लाल वर्मा तथा अन्य सक्रिय सदस्यों द्वारा इसे गंभीरता से लिया गया तथा सी एम ओ से मिलकर इस प्रकरण की जांच करवाई गई,इससे ज्ञात हुआ कि श्री प्रधान का पैसा भानुप्रतापपुर के किसी कर्मचारी के खाते में जमा होता रहा ।पेंशनर समाज का प्रतिनिधिमंडल महालेखाकार कार्यालय रायपुर में वरिष्ठ लेखाधिकारी से भी मिलकर चर्चा किया और पूरे मामले की जांच करवाई गई ,अंततः सफलता मिली और 14 वर्षों बाद श्री प्रधान को 8 लाख 45 हजार रुपए स्वीकृत किए गए ।इस मामले को हल करने में वर्तमान सीएमएचओ का भी योगदान सराहनीय रहा, जिन्होंने मामले को गंभीरता से लेते हुए सालों से रुकी राशि स्वीकृति कराई है। 

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