सरकार मांगे नहीं सुन नहीं तो दूसरी तरफ नक्सली टारगेट कर रहे हैं, अधर में शिक्षादूतों का भविष्य
बीजापुर। माओवादियों द्वारा बीते पांच वर्षों के भीतर सिलसिलेवार छह शिक्षादूतों की हत्या से बस्तर के माओवाद प्रभावित इलाकों में कार्यरत शिक्षादूतों में भय का माहौल बना हुआ है। एक हफते के भीतर सुकमा से बीजापुर तक दो शिक्षादूतों की हत्या ने इन्हें ना सिर्फ भीतर तक झकझोर कर रख दिया है बल्कि अब ये अपने भविष्य को लेकर चिंतित है।साथी शिक्षादूत कल्लू ताती को अंतिम बिदाई देने तोड़का पहुंचे शिक्षादूतों ने माओवादियों के इस कृत्य से खुद भयभीत बताते कहा कि जो परिस्थितियां निर्मित हुई इसके मद्देनजर सरकार शिक्षादूतों का भविष्य सुनिश्चत करे।उनकी प्रमुख मांग सहायक शिक्षक भर्ती में प्राथमिकता को लेकर है।शिक्षादूतों की मानें तो जिन इलाकों में नक्सलियों का वर्चस्व है जोखिम उठाकर वे बच्चों को पढ़ा रहे हैं। बेहतर कल गढ़ने में उनकी मदद कर रहे हैं।इसके एवज में उन्हें महज दस हजार रूपए मासिक वेतन मिलता है ज...

